गौरेया पासेराडेई परिवार की सदस्य है, लेकिन कुछ लोग इसे वीवर फिंच परिवार की सदस्य मानते हैं। इनकी लम्बाई 14 से 16 सेंटीमीटर होती है तथा इनका वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है। एक समय में इसके कम से कम तीन बच्चे होते है। गौरेया अधिकतर झुंड में ही रहती है। भोजन तलाशने के लिए गौरेया का एक झुंड अधिकतर दो मील की दूरी तय करते हैं। यह पक्षी कूड़े में भी अपना भोजन ढूंढ़ लेते है।
गौरेया आज संकटग्रस्त पक्षी है जो पूरे विश्व में तेज़ी से दुर्लभ हो रही है। दस-बीस साल पहले तक गौरेया के झुंड सार्वजनिक स्थलों पर भी देखे जा सकते थे। लेकिन खुद को परिस्थितियों के अनुकूल बना लेने वाली यह चिड़िया अब भारत ही नहीं, यूरोप के कई बड़े हिस्सों में भी काफी कम रह गई है। ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी और चेक गणराज्य जैसे देशों में इनकी संख्या जहाँ तेज़ी से गिर रही है, तो नीदरलैंड में तो इन्हें "दुर्लभ प्रजाति" के वर्ग में रखा गया है।
बीटिंग द रिट्रीट ऑन ब्लॉग बुलेटिन आज दिल्ली के विजय चौक पर हुये 'बीटिंग द रिट्रीट' के साथ ही इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो गया ! आज की 'बीटिंग द रिट्रीट' ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंगौरैया ब्लाग में संकटग्रस्त और पक्षी भी ले सकते हैं -यह पक्षी संरक्षण की प्रतीक बन सकती है!
जवाब देंहटाएंआपकी बात सहमत हूँ। धन्यवाद अरविंद सर।
हटाएंavashya gauraiya ko sankat grast ki sreni main dalden..
हटाएंगौरैया को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है..... अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंगौरैया को बचाना हम सभी का फर्ज और हम सबकी जिम्मेदारी है..... हर्षवर्धन जी ......अच्छी जानकारी
हटाएं@ संजय भास्कर
आपकी चिंता सही है, घर आंगन में फ़ुदकने वाली गौरैया अब लुप्तप्राय हो चली है. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सही चिंतन ...
जवाब देंहटाएं"आंगन का पंक्षी" निबंध विद्यानिवास मिश्र जी ने लिखा था, गावोँ मेँ खूब पाया जाने वाला यह पंक्षी अब तो लुप्यप्राय हो रहा है।
जवाब देंहटाएं.......
पक्षियोँ पर मेरी यह लघुकथा पढेँ....
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0
सच कहा आपने इस इतने बड़े देश की राजधानी हो कर भी हम इस गौरैया को बचाने में नाकाम साबित हो रहे है हमें फिर से एक जुट हो कर ये महत्वपूर्ण कार्य करना होगा
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
पक्षी प्रेम को समर्पित बढ़िया पोस्ट अब घरों में नहीं मिलती गौरैया .टूट गया पर्यावरण .
जवाब देंहटाएंसबेरे सबेरे चहचहाती गौरया सभी को आल्हादित कर देती है. इस चहचाहट को बरकार रखना होगा.
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत - बहुत धन्यवाद। :)
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद। :)
हटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद। :)
हटाएंएक बार टीवी पे देखा था कि एक दिल्ली के सज्जन ने अपने घर मेँ काफी गौरेया पाल रखी है।
जवाब देंहटाएंअगर ऐसी जानकारी देँ,कि गौरेया को किन-किन माध्यमोँ से बचाया जा सकता है तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
www.yuvaam.blogspot.com
It is true, We need to save Sparrow with extra effort!
जवाब देंहटाएंIske liye hm sabhi ko kadam badhana h..goraiya sirf ek chidiya hi nhi hamari shaan h.. isko bachana hm sbka farj hai.. agar har ek ghar me do ghosle bhi rakhe jaye to goraiya chidiya ki sankhya bhut jald badh jayegi ��
जवाब देंहटाएंEk chidiya 🐦 k 3 bche h.. January February March... To chidiya ka kya name h...
जवाब देंहटाएंMere ko goryiya ka ak bcha Mila h road pr muje nhi pta m Isko kya khilau .. Vo bhut chota h
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