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चित्र साभार : en.wikipedia.org |
सालिम मोईनुद्दीन अब्दुल अली( डॉ . सालिम अली) का जन्म
12 नवंबर, 1896 में वर्तमान मुंबई के सुलेमान बोहरा मुस्लिम परिवार में हुआ था। सलीम के पिता
मोईनुद्दीन की मृत्यु उनके जन्म के 1 साल बाद हो गई थी। बाद में 3 साल की उम्र में सलीम की माँ
जीनत उन्निसा भी चल बसी। इनके मामा
अमीरुद्दीन और मामी
हमीदा बेगम की कोई औलाद ना थी, इसलिए उन्होंने सलीम का पालन - पोषण किया।
सालिम की शुरूआती शिक्षा सैंट जेवियर्स स्कूल, मुंबई में हुई वहाँ से इन्होंने 1913 में मैट्रिकुलेशन परीक्षा पास की। पक्षियों में इनकी विशेष रुचि देखते हुए डब्ल्यू . एस . मिलार्ड ने सलीम को प्राणी विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए कहा। उन्होंने जीव विज्ञान की पढ़ाई सैंट जेवियर्स स्कूल, मुंबई में ही की। सलीम को गणित विषय कभी पसंद नहीं था। इसलिए इस कारण और अस्वस्थता के चलते उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।
1926 में इनका विवाह
तेहमिना से हो गया। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए सालिम ने
1926 में
प्रिंस ऑफ़ वेल्स म्यूजियम में गाइड लेक्चरर की नौकरी कर ली। सालिम
1928 में अध्ययन के लिए अवकाश लेकर
बर्लिन,(जर्मनी) चले गए। बर्लिन में सालिम ने प्रोफ़ेसर इरविन स्ट्रेरोमैन के निर्देशन में शोध कार्य किया। बर्लिन से लौट कर
1930 में उन्होंने हैदराबाद के निजाम द्वारा आर्थिक सहायता देने पर हैदराबाद में ही पक्षियों का सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ किया।
सालिम को पक्षियों के अध्ययन में इन की पत्नी तेहमिना ने इन्हें पूरा सहयोग दिया लेकिन एक ऑपरेशन के दौरान
1939 में तेहमिना की मृत्यु हो गई। तेहमिना की असामयिक मृत्यु से सालिम को गहरा सदमा लगा। लेकिन सलीम ने अपने आप को समझाया और अपने मित्र लोक वान थो के साथ वो पक्षियों के तस्वीरें लेने लगे।
पक्षियों के संरक्षण में विशिष्ट योगदान के लिए महान डॉ . सालिम अली को अनेक
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों तथा
मानद डॉक्टरेट डिग्री से भी सम्मानित किया गया। कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जो उन्हें प्राप्त हुए वे हैं :
"जे पाल गेटी वाइल्ड लाइफ पुरस्कार", "पौवलोवस्की सैंटनरी मेमोरियल मेडल", नीदरलैंड के प्रिंस बर्नहार्ड का "आर्ट ऑफ़ द गोल्डन आर्क", ब्रिटिश ओरनिथोलोजिकल सोसाइटी का "गोल्ड मेडल"।अपनी इसी ख़ूबी की वजह से इन्हें
"बर्डमैन ऑफ़ इंडिया" भी कहा गया।
डॉ . सालिम अली ने पक्षियों पर अपने गहन अध्ययन एवं शोधों को पुस्तक के रूप में समय समय पर प्रस्तुत किया है। उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं :
"हैंडबुक ऑफ़ द बर्ड ऑफ़ इंडिया एंड पाकिस्तान" (जो 10 भागों में प्रकाशित हुई है), द फॉल ऑफ़ ए स्पैरो, बुक ऑफ़ इंडियन बर्ड्स, इंडियन हिल बर्ड्स, द बर्ड्स ऑफ़ इस्टर्न हिमालय, द बर्ड्स ऑफ़ सिक्किम, द बर्ड्स ऑफ़ कच्छ (बाद में "द बर्ड्स ऑफ़ गुजरात"),
द बर्ड्स ऑफ़ केरल (1953 में पहला संस्करण प्रकाशित और पुराना शीर्षक "द बर्ड्स ऑफ़ त्रावणकोर" था।)
भारत सरकार ने डॉ . सालिम अली को पक्षियों के अध्ययन और संरक्षण में विशिष्ट योगदान के लिए
पदम भूषण (1958) व
पदम विभूषण (1976) से सम्मानित किया है। उन्हें पक्षी विज्ञान में नेशनल रिसर्च प्रोफ़ेसर बनाया गया। डॉ . सालिम अली को
1985 में राज्यसभा की सदस्यता के लिए भी मनोनीत किया गया था।
डॉ . सालिम अली की मृत्यु
27 जुलाई, 1987 में प्रोस्टेट कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद 90 वर्ष की उम्र में हो गई।
भारत सरकार द्वारा
कोयंबटूर में
"सालिम अली सेंटर फॉर ओरनिथोलोजी एंड नेचुरल हिस्ट्री" की स्थापना की गई थी।
पांडिचेरी यूनिवर्सिटी में
"सालिम अली स्कूल ऑफ़ इकोलोजी एंड नेचुरल हिस्ट्री" की भी स्थापना की गई है।
केरल और
गोवा में
"सालिम अली पक्षी विहार" की स्थापना की गई है।
आज उनकी 26वीं पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सादर नमन। ।
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